shri jinendra varni ji
Saturday, April 17, 2010
Wednesday, April 14, 2010
Monday, April 12, 2010
List Of VARNI Dham's
1. Samadhi Dhaam -Ishri Bazar,Udaseen Ashram,Shanti Niketan,District Girdihi (Near Parasnath Station) Contact No-06558-233158
2.Shri Jinendra Varni Granthmala- Suresh Kumar Jain ,58/4 Jain Street,Panipat (Haryana) 09416221237
3.varni ji ki Murti-Shri Shreyans Nath Digamber Jain Mandir (Sarnath)
2.Shri Jinendra Varni Granthmala- Suresh Kumar Jain ,58/4 Jain Street,Panipat (Haryana) 09416221237
3.varni ji ki Murti-Shri Shreyans Nath Digamber Jain Mandir (Sarnath)
List Of Followers
1.Baal Bramchari. Arihant Kumar Jain (Rohtak) 09051402547
2.Baal Bramcharini Dr. Manorma Jain(Rohtak)09416851243
3. Baal Bramchrini Dr. Nirmala Jain (Varanasi)
4. Indra Jain (Chandigarh)
5.Suraj Jain (Gaziabad)0120-3248707
6.Suresh Kumar Jain Gargiye(Panipat)09416221237
7.Jai KishanJain(Varanasi)0542-22114545
8.Narender Kumar Jain(Varanasi)09415388281
9.Usha Jain (Hisar)09466005600
10.Dr.Rajni Jain(Ratna)Varanasi-09839067957
2.Baal Bramcharini Dr. Manorma Jain(Rohtak)09416851243
3. Baal Bramchrini Dr. Nirmala Jain (Varanasi)
4. Indra Jain (Chandigarh)
5.Suraj Jain (Gaziabad)0120-3248707
6.Suresh Kumar Jain Gargiye(Panipat)09416221237
7.Jai KishanJain(Varanasi)0542-22114545
8.Narender Kumar Jain(Varanasi)09415388281
9.Usha Jain (Hisar)09466005600
10.Dr.Rajni Jain(Ratna)Varanasi-09839067957
Friday, April 9, 2010
वर्णी जी -एक आदर्श व्यक्तित्व
1. सरलता -आपका जीवन अत्यंत सरल था। जो भी आपके पास प्रेम से जाता उसे सरल और मधुर शब्दों में अपनी बात समझा देते थे।
2. कर्मठता -आप जिस कार्य में लग जाते उसे पूर्ण करते थे। इसी कर्मठता के फल स्वरुप आपने अद्वितीय ग्रंथों की रचना की।
3. मौन साधक -आपने अपना अधिकांश समय मौन से ही व्यतीत किया ,शहरों से दूर एकांत वास करते हुए मौन रहकर जिनवाणी की साधना करी।
4. संप्रदाय से दूर -आप संप्रदाय और रूढ़ियों से दूर रहे ,आप कहा करते थे मैं न जैन न अजैन न हिन्दू न मुसलमान अथवा मैं सब कुछ हूँ।
5. वैज्ञानिक दृष्टिकोण -आपने अपने ग्रंथों और प्रवचनों में धर्म को मात्र कहने से अपनाने के स्थान पर अपने जीवन पर प्रयोग करके अपनाने को कहा।
6. यथापात्र मार्गदर्शक -आप मंच पर उपदेश के स्थान पर जिज्ञासु की पात्रता के अनुसार उसका मार्गदर्शन करते थे।
7.अनेकांतवादी - आप धार्मिक वाद -विवाद नहीं करते थे,क्योंकि आपके अनुसार किसी न किसी अपेक्षा से सभी धर्म अपने में सही होते हैं।
8. दुर्बल तन दृढ आत्मबल -आपने क्षीण काय होते हुए भी आत्मिक शक्ति द्वारा कठोरतम साधना करके अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
9. शांतिपथगामी-आप जीवन पर्यन्त प्रत्येक परिस्थिति में अपनी शान्ति में अडिग रहे।
10. वज्र से कठोर कुसुम से कोमल -आप अपनी आत्म साधना के प्रति अत्यन्त दृढ थे और व्यव्हार में मातृवत थे।
2. कर्मठता -आप जिस कार्य में लग जाते उसे पूर्ण करते थे। इसी कर्मठता के फल स्वरुप आपने अद्वितीय ग्रंथों की रचना की।
3. मौन साधक -आपने अपना अधिकांश समय मौन से ही व्यतीत किया ,शहरों से दूर एकांत वास करते हुए मौन रहकर जिनवाणी की साधना करी।
4. संप्रदाय से दूर -आप संप्रदाय और रूढ़ियों से दूर रहे ,आप कहा करते थे मैं न जैन न अजैन न हिन्दू न मुसलमान अथवा मैं सब कुछ हूँ।
5. वैज्ञानिक दृष्टिकोण -आपने अपने ग्रंथों और प्रवचनों में धर्म को मात्र कहने से अपनाने के स्थान पर अपने जीवन पर प्रयोग करके अपनाने को कहा।
6. यथापात्र मार्गदर्शक -आप मंच पर उपदेश के स्थान पर जिज्ञासु की पात्रता के अनुसार उसका मार्गदर्शन करते थे।
7.अनेकांतवादी - आप धार्मिक वाद -विवाद नहीं करते थे,क्योंकि आपके अनुसार किसी न किसी अपेक्षा से सभी धर्म अपने में सही होते हैं।
8. दुर्बल तन दृढ आत्मबल -आपने क्षीण काय होते हुए भी आत्मिक शक्ति द्वारा कठोरतम साधना करके अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
9. शांतिपथगामी-आप जीवन पर्यन्त प्रत्येक परिस्थिति में अपनी शान्ति में अडिग रहे।
10. वज्र से कठोर कुसुम से कोमल -आप अपनी आत्म साधना के प्रति अत्यन्त दृढ थे और व्यव्हार में मातृवत थे।
वर्णी जी की जीवन यात्रा के पड़ाव
1. Panipat (Haryana)
2. Saharanpur (U.P.)
3. Muzaffar nagar
4.Nasirabad
5.Indore
6.Rohtak (Haryana)
7.Varanasi (U.P.)
8.Ishri (Shanti Niketan)Sammed Shikhar Ji
9. Bhopal (M.P.)
10. Chhindwara(M.P.)
11. Sagar (M.P.)
2. Saharanpur (U.P.)
3. Muzaffar nagar
4.Nasirabad
5.Indore
6.Rohtak (Haryana)
7.Varanasi (U.P.)
8.Ishri (Shanti Niketan)Sammed Shikhar Ji
9. Bhopal (M.P.)
10. Chhindwara(M.P.)
11. Sagar (M.P.)
Thursday, April 8, 2010
श्रद्धेय वर्णी जी के संस्मरणों का समावेश
स्मरणांजलि -------
वर्णी जी की समाधि के पश्चात् उनके भक्तों और संपर्क में आने वालों के भावपूर्ण उदगार ,संस्मरण ,पत्रावली ,साहित्य ,समाधि आदि विविध विषयों पर लेख और चित्र आदि का अति सुन्दर संकलन।
वर्णी जी की समाधि के पश्चात् उनके भक्तों और संपर्क में आने वालों के भावपूर्ण उदगार ,संस्मरण ,पत्रावली ,साहित्य ,समाधि आदि विविध विषयों पर लेख और चित्र आदि का अति सुन्दर संकलन।
श्री जिनेन्द्र वर्णी ग्रन्थमाला से प्रकाशित पुस्तकें
परम श्रद्धेय क्षुल्लक श्री जिनेन्द्र वर्णी जी महाराज की परम शिष्या बाल ब्रह्मचारिणी डा.मनोरमा जैन रोहतक द्वारा वर्णी जी की प्रेरणा से ही लिखा गया शोध प्रबंध -----जैन दर्शन में कर्म सिद्धांत -एक तुलनात्मक अध्ययन (कर्म बंधन से कर्म मुक्ति प्रक्रिया का विवेचन )
बौद्ध,सांख्य,वैशेषिक आदि षड दर्शनों और श्री मद भगवद गीता से जैन दर्शन के कर्म सिद्धांत की समानता और विभिन्नता दर्शाते हुए मुक्ति प्रक्रिया का सुबोध गम्य विवेचन।
बौद्ध,सांख्य,वैशेषिक आदि षड दर्शनों और श्री मद भगवद गीता से जैन दर्शन के कर्म सिद्धांत की समानता और विभिन्नता दर्शाते हुए मुक्ति प्रक्रिया का सुबोध गम्य विवेचन।
Wednesday, September 16, 2009
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