shri jinendra varni ji
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Thursday, January 15, 2009
वर्णी वचनामृत
प्रत्येक क्षण प्रभु की प्रेरणायें
भीतर से आती रहती हैं ,जो व्यक्ति जागृत होकर उन्हें सुनता है,और उसी के अनुसार आचरण करता है,उसका जीवन सत्यपथ का अनुगामी हो जाता है ।
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