परम श्रद्धेय क्षुल्लक श्री जिनेन्द्र वर्णी जी महाराज की परम शिष्या बाल ब्रह्मचारिणी डा.मनोरमा जैन रोहतक द्वारा वर्णी जी की प्रेरणा से ही लिखा गया शोध प्रबंध -----जैन दर्शन में कर्म सिद्धांत -एक तुलनात्मक अध्ययन (कर्म बंधन से कर्म मुक्ति प्रक्रिया का विवेचन )
बौद्ध,सांख्य,वैशेषिक आदि षड दर्शनों और श्री मद भगवद गीता से जैन दर्शन के कर्म सिद्धांत की समानता और विभिन्नता दर्शाते हुए मुक्ति प्रक्रिया का सुबोध गम्य विवेचन।
Thursday, April 8, 2010
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